आजाद भारत के बाद किसने किया गढ़वा को प्रतिनिधित्व, आज तक की सबसे बड़ी रिपोर्ट!

गढ़वा विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस का दबदबा: एक ऐतिहासिक दृष्टिकोण

गढ़वा रंका संवाददाता- विकास कुमार:- गढ़वा विधानसभा क्षेत्र, झारखंड का एक महत्वपूर्ण निर्वाचन क्षेत्र, आजादी के बाद से ही राजनीतिक गतिविधियों का केंद्र रहा है। इस क्षेत्र में कांग्रेस पार्टी का प्रभाव हमेशा से ही प्रमुख रहा है। कांग्रेस प्रत्याशियों ने इस क्षेत्र से छह बार जीत दर्ज की है, जबकि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रत्याशी तीन बार विजयी रहे हैं। 

जनता दल और राष्ट्रीय जनता दल के टिकट पर गिरिनाथ सिंह ने दो-दो बार विधायक पद पर कब्जा जमाया है। स्वतंत्र पार्टी, जनसंघ, जनता पार्टी और झारखंड विकास मोर्चा (झाविमो) के प्रत्याशियों को भी एक-एक बार क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने का मौका मिला है। 

झारखंड अलग राज्य बनने के बाद, झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने भी इस सीट से अपने प्रत्याशी उतारे, लेकिन उन्हें कभी जीत का स्वाद नहीं मिला। हालांकि, झामुमो के प्रत्याशी विजयी उम्मीदवारों को कड़ी टक्कर देते रहे हैं।

1952 में हुए आजाद भारत के पहले विधानसभा चुनाव में हुसैनाबाद सह गढ़वा क्षेत्र के लिए दो सीटें थीं और इस क्षेत्र से दो विधायक चुने जाते थे। 1952 से 1957 तक देवचंद राम पासी और राजकिशोर सिन्हा कांग्रेस के टिकट पर विधायक चुने गए थे। 1957 से 1962 तक कांग्रेस की सुश्री राजेश्वरी सरोज दास विधायक रहीं। 

1962 से 1967 तक स्वतंत्र पार्टी के गोपीनाथ सिंह विधायक रहे। 1967 से 1969 के उपचुनाव में कांग्रेस के लक्ष्मी प्रसाद केशरी विधायक बने। 1969 से 1972 तक जनसंघ के गोपीनाथ सिंह फिर से विधायक बने। 1972 से 1977 तक कांग्रेस के अवध किशोर तिवारी विधायक रहे। 

1977 से 1980 तक जनता पार्टी के विनोद नारायण दीक्षित विधायक चुने गए। 1980 में युगल किशोर पांडेय विधायक बने। 1985 में भाजपा के गोपीनाथ सिंह तीसरी बार विधायक बने। 1990 में वह फिर से भाजपा के विधायक बने। 

1993 के उपचुनाव में उनके पुत्र गिरिनाथ सिंह जनता दल के प्रत्याशी के रूप में चुनाव जीते। इसके बाद 1995, 2000 और 2005 तक गिरिनाथ सिंह जनता दल और राजद से विधायक बने। 2009 में झाविमो के सत्येंद्रनाथ तिवारी विधायक बने। 2014 में भाजपा के सत्येंद्रनाथ तिवारी दूसरी बार विधायक बने।

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गढ़वा विधानसभा क्षेत्र की यह राजनीतिक यात्रा दर्शाती है कि कैसे विभिन्न दलों और नेताओं ने इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया है और कैसे कांग्रेस पार्टी ने यहां अपनी मजबूत पकड़ बनाए रखी है।