करमा पूजा: एक सांस्कृतिक उत्सव करमा पूजा (या करम पर्व) एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो झारखंड, ओडिशा, बंगाल, असम और छत्तीसगढ़ के आदिवासी समुदायों द्वारा मनाया जाता है. यह त्योहार प्रकृति और समुदाय के प्रति आदिवासियों की गहरी श्रद्धा को दर्शाता है।
करमा पूजा क्या है? करमा पूजा का मुख्य आकर्षण करम वृक्ष (शोरिया रोबस्टा) की पूजा है। इस वृक्ष को गांव में लाकर रंग-बिरंगे कपड़ों, फूलों और अन्य अर्पणों से सजाया जाता है. करम वृक्ष को धरती और दिव्य के बीच एक पुल माना जाता है, और इसकी उपस्थिति समुदाय के लिए आशीर्वाद और समृद्धि लाती है.
क्यों मनाया जाता है? करमा पूजा का उद्देश्य प्रकृति के प्रति आदिवासियों की श्रद्धा और सम्मान को प्रकट करना है। यह त्योहार अच्छी फसल और समृद्धि के लिए प्रार्थना करने का अवसर भी है. आदिवासी समुदाय इस दिन अनाज, फल और अन्य कृषि उत्पाद अर्पित करते हैं और दीपक जलाते हैं.
किसके लिए मनाया जाता है? यह त्योहार मुख्य रूप से आदिवासी समुदायों द्वारा मनाया जाता है, जिनमें हो, मुंडा, संथाल, उरांव और अन्य शामिल हैं. यह त्योहार न केवल एक आध्यात्मिक अवसर है, बल्कि यह समुदाय के बंधन को मजबूत करने का भी समय है.
2024 में कब है? 2024 में करमा पूजा सितंबर 14 को मनाई जाएगी.
करमा पूजा के प्रमुख तत्वकरम वृक्ष की पूजा:
करम वृक्ष को सजाकर उसकी पूजा की जाती है।
नृत्य और संगीत: पारंपरिक संगीत और नृत्य का आयोजन होता है। अर्पण और प्रार्थना: अनाज, फल और अन्य कृषि उत्पाद अर्पित किए जाते हैं।
सामुदायिक बंधन:
समुदाय के लोग एक साथ मिलकर त्योहार मनाते हैं। करमा पूजा आदिवासी समुदायों के लिए एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और सामाजिक अवसर है। यह त्योहार न केवल प्रकृति के प्रति उनकी श्रद्धा को दर्शाता है, बल्कि समुदाय के सदस्यों के बीच एकता और सहयोग को भी बढ़ावा देता है.