छट पर मातम पसरा, हाथियों ने उतारा मौत का घाट!

गढ़वा रमकांडा में छठ पर छाया मातम: उग्र हाथियों ने व्यक्ति की जान ली

गढ़वा रंका संवाददाता- विकास कुमार:- गढ़वा जिले के रमकांडा प्रखंड के रोहड़ा गांव में छठ पर्व के अवसर पर एक दुखद घटना घटी। मंगलवार की रात उग्र हाथियों ने रोहड़ा गांव के ऊपर टोला में सीता राम नामक एक व्यक्ति को पटक कर मार डाला। इस घटना से पूरे क्षेत्र में शोक और भय का माहौल है।

घटना का विवरण:

मंगलवार की रात, जब सीता राम अपने घर से रात में बाहर निकला तभी हाथियों ने उसे पटक दिया, जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई। मृत व्यक्ति का उम्र 54 वर्ष। घटना के बाद गांव में मातम छा गया और लोग भयभीत हो गए।

क्षेत्र में बढ़ती हाथियों की समस्या:

यह पहली बार नहीं है जब इस क्षेत्र में हाथियों के हमले की घटना घटी है। पिछले कुछ समय से रमकांडा और आसपास के गांवों में हाथियों के हमले बढ़ते जा रहे हैं। हाथियों ने अब तक कई लोगों की जान ले ली है और कई घरों को नुकसान पहुंचाया है। इस बढ़ती समस्या ने गांववासियों को चिंता में डाल दिया है।

अधिकारियों और पदाधिकारियों पर आक्रोश:

गांव के लोग अब अधिकारियों और पदाधिकारियों पर काफ़ी अक्रोशित हैं। वे आरोप लगा रहे हैं कि सरकार और प्रशासन द्वारा इस गंभीर समस्या को नजरअंदाज किया जा रहा है। गांववासियों का कहना है कि उन्हें बार-बार हाथियों के हमले का शिकार होना पड़ता है, लेकिन इस समस्या का स्थायी समाधान नहीं निकल पाया है। 

लोगों की मांग:

गांववासियों ने इस घटना के बाद सरकार से तुरंत हस्तक्षेप की मांग की है। वे चाहते हैं कि प्रशासन इस समस्या का स्थायी समाधान निकालने के लिए ठोस कदम उठाए। गांववासियों ने वन विभाग से भी अपील की है कि हाथियों के हमलों से बचाव के लिए प्रभावी उपाय किए जाएं।

सरकार की प्रतिक्रिया:

इस घटना के बाद, प्रशासन ने मामले की गंभीरता को समझते हुए जांच के आदेश दिए हैं। अधिकारियों का कहना है कि वे जल्द से जल्द इस समस्या का समाधान निकालने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे। वन विभाग को भी निर्देश दिए गए हैं कि वे हाथियों के हमलों को रोकने के लिए तत्काल उपाय करें।

समापन:

गढ़वा रमकांडा में घटित इस दुखद घटना ने एक बार फिर से लोगों को हाथियों के खतरों से आगाह कर दिया है। यह समय है कि प्रशासन और वन विभाग मिलकर इस समस्या का स्थायी समाधान निकालें ताकि भविष्य में ऐसे हादसों को टाला जा सके। गांववासियों को उम्मीद है कि उनकी समस्याओं को गंभीरता से लिया जाएगा और उन्हें सुरक्षित जीवन जीने का अधिकार मिलेगा।

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